Sunday, November 13, 2016

In Mirror Maze

इतने आईने थे .......

हर आईने में मेरी खिलखिलाहट मौजूद थी

मेरी आँखों की चमक बरक़रार थी

मेरे  माथे की बिंदिया चमचमा रही थी

मेरे क़दम आगे का रास्ता ढूँढने को बेक़रार थे

मेरी धड़कन की गुनगुनाहट गूँज रही थी

मेरे ख्वाब अपने मुस्तकबिल तक पहुँचने को तैयार  थे

मैं जल्दी से आइनों के जाल से निकल आई

और खुद से एक और मुलाकात कर आई |


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