Saturday, November 12, 2016


ज़िन्दगी को क्यूँ बना दिया है तराजू , पल पल रिश्तों को तोलते हो ,

हर पलड़े के बढ़ते घटते भार का बोझ खुद ही ढोहते हो ,

कोई अच्छा है तो क्यों है ? कोई बुरा है तो क्यों है ?

रिश्तों के मायने ये तो नहीं ........रिश्तों की परिभाषा ये तो नहीं !!!!!!!!!!!

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