आखिर वो मेरा क्या लगता है ,
वो शख्स कितना अपना सा लगता है , आखिर वो मेरा क्या लगता है ,
न जाने कैसे मेरी आँखें पढ़ लेता है , हद ये है आँखों से कह भी देता है ।
वो शख्स कितना अपना सा लगता है , आखिर वो मेरा क्या लगता है ,
मेरी मुस्कराहट उसकी ख़ुशी बन जाती है और उसकी हंसी मेरा गहना ।
वो शख्स कितना अपना सा लगता है , आखिर वो मेरा क्या लगता है ,
जब भी वो मुक़ाबिल होता है साया भी मेरा महफूज़ होता है ।
वो शख्स कितना अपना सा लगता है , आखिर वो मेरा क्या लगता है ,
धुप से बचने को जब दुपटे से चेहरा ढकती हूँ , आगे का सफर उसकी आँखों से तय करती हूँ ।
वो शख्स कितना अपना सा लगता है , आखिर वो मेरा क्या लगता है ।
वो शख्स कितना अपना सा लगता है , आखिर वो मेरा क्या लगता है ,
न जाने कैसे मेरी आँखें पढ़ लेता है , हद ये है आँखों से कह भी देता है ।
वो शख्स कितना अपना सा लगता है , आखिर वो मेरा क्या लगता है ,
मेरी मुस्कराहट उसकी ख़ुशी बन जाती है और उसकी हंसी मेरा गहना ।
वो शख्स कितना अपना सा लगता है , आखिर वो मेरा क्या लगता है ,
जब भी वो मुक़ाबिल होता है साया भी मेरा महफूज़ होता है ।
वो शख्स कितना अपना सा लगता है , आखिर वो मेरा क्या लगता है ,
धुप से बचने को जब दुपटे से चेहरा ढकती हूँ , आगे का सफर उसकी आँखों से तय करती हूँ ।
वो शख्स कितना अपना सा लगता है , आखिर वो मेरा क्या लगता है ।
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