खिड़की से ज़रा झाँक कर देखना
सांझ ढले पेड़ के नीचे बर्फ की चादर ओढ़े भीगता है कौन,
वो गीत है किसी का
ग़ज़ल है किसी की
कलाम है किसका
बुला लेना अंदर
बैठा लेना पास
एहसास की गर्मी देना
गुनगुना उठेगा गीत
महक उठेगी ग़ज़ल
गूँज जाएगा कलाम ।
खिड़की से ज़रा झाँक कर देखना
सांझ ढले पेड़ के नीचे बर्फ की चादर ओढ़े भीगता है कौन,
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