Sunday, November 13, 2016


हर सम्बन्ध हो सीमा में
 हर उम्मीद हो दायरे में
अपेक्षा हो सीमित
भाव में हो भावना
घात का हो आभास
विश्वास का हो साथ
आस्था से हो नाता
रिश्तों पर हो यकीं
जोश में सब्र हो
ख़ुशी में बेसब्र न हों
दिल में हो प्यार
दिमाग में हो ठहराव

हो सब में ये एहसास तो न हो कोई भार
बस हो रिश्तों में प्यार ...बेपनाह प्यार |

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