Tuesday, December 4, 2012

हकीकत

हम जानते हैं हकीकत क्या है लेकिन उसे मानने से इनकार कर देते है .....सामने जो दिखाई देता है वो सच नहीं होता पर न जाने क्यों दिल मान जाता है की जो सामने है वही सच है शायद इसलिए की हमारी अपनी सच्चाई वही एक होती है । कभी कभी लगता है गलती उनकी भी नहीं आज के दौर का चलन ही ऐसा है । ज़िन्दगी में आज के वक़्त में संघर्ष इतना हो गया है , ख्वाहिशे इतनी बढ़ गयी हैं की जब तक आप किसी और की किस्मत और खुद के ज़मीर पर पांव रख कर आगे नहीं बढ़ते आपको खुद को जमीन नहीं मिलती कदम रखने के लिए ऐसे में इंसान क्या करे ??? पर इसके आगे क्या ?? आज को तो आपने सुरक्षित कर लिया आगे क्या ???? बहुत से पाँव आपकी भी किस्मत को ठोकर मारने को तत्पर खड़े है .... 

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