22.12.04
ए समंदर तू किस गुरुर में शोर मचाता है ?
तुझसे कई मेरी पलकों की देहलीज पर खामोश बहते हैं !
एक और किस्मत की करामात देख ......मेरे समंदर के साहिल रेगिस्तान हैं !
ए समंदर तू किस गुरुर में शोर मचाता है ?
तुझसे कई मेरी पलकों की देहलीज पर खामोश बहते हैं !
एक और किस्मत की करामात देख ......मेरे समंदर के साहिल रेगिस्तान हैं !
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